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भारत में देशी रियासतों का एकीकरण और एकीकरण में सरदार वल्लभभाई पटेल की भूमिका

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राष्ट्रीय एकता दिवस—31 अक्टूबर

सरदार वल्लभभाई पटेल को आयरन मैन ऑफ इंडिया भी कहा जाता हैं।

भारत में स्वतंत्रता से पूर्व 562 रियासतें थी। जो संपूर्ण भारत के क्षेत्रफल का 40% क्षेत्र में विस्तृत थी। इनमें लगभग एक चौथाई जनसंख्या निवास करती थी। रियासतों में जनसंख्या, क्षेत्रफल, प्रशासन और वित्तीय संसाधनों में काफ़ी असमानता थी। भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के द्वारा देसी रियासतों को अपनी स्वेच्छा से भारत या पाकिस्तान में शामिल होना या स्वयं को स्वतंत्र रखने की स्वतंत्रता प्रदान की गई थी।

एकीकरण में सरदार वल्लभभाई पटेल की अहम भूमिका।

• 5 जुलाई 1947 को अंतरिम सरकार में गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल को राज्य मंत्रालय की स्थापना और भारत में देशी रियासत के राजाओं से बातचीत करने का कार्य सौंपा गया।
• सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा भारत की अखंडता को बनाए रखने में सभी देसी रियासतों के राजाओं से अपील की।
• सबसे पहले सरदार वल्लभभाई पटेल देश के प्रति रक्षा विदेशी संबंध और संचार व्यवस्था जैसे तीन महत्वपूर्ण विषय को ध्यान में रखकर भारतीय संघ में सभी राजाओं को सम्मिलित होने का अब आग्रह किया और विश्वास दिलाया की कांग्रेस राज्यों के आंतरिक मामले में किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करेगी।
• भारतीय संघ में राजाओं को सम्मिलित होने के लिए 2 दस्तावेजों पर हस्ताक्षर की प्रक्रिया की व्यवस्था बनाई गई।
1. Instrument of accession
2. Standstill agreement

1. Instrument of accession— इस दस्तावेज के आधार पर जो रियासत भारतीय संघ में शामिल होगी। उसकी प्रतिरक्षा, विदेशी मामले, यातायात और संचार व्यवस्था केंद्र सरकार के अंतर्गत सौंपी जाएगी।
2. Standstill agreement— इस दस्तावेज के आधार पर वही अवस्था रहेगी जिस प्रकार सभी देशी रियासतें 1857 की क्रांति के बाद ब्रिटिश की महारानी को अपना सर्वोच्च माना था। अर्थात रियासत केंद्र सरकार को सर्वोच्च माननी होगी।

# इन दोनों दस्तावेजों तथा सरदार वल्लभभाई पटेल के प्रयास से जूनागढ़ (सौराष्ट्र), जम्मू-कश्मीर और हैदराबाद के अलावा सभी रियासतें भारत के संविधान और भारतीय संघ को मानने के लिए तैयार हो गई।

हैदराबाद रियासत का विलय भारतीय संघ में कैसे हुआ??

हैदराबाद रियासत काफी विस्तृत थी। जिसका शासक मुस्लिम समुदाय से तालुकात रखता था। परंतु वहां की जनता अधिकतर हिंदू समुदाय के थी। अंत में 1948 में हैदराबाद रियासत को पुलिस कार्रवाई के द्वारा भारतीय संघ में मिला लिया गया।

जूनागढ़ का विलय भारतीय संघ में कैसे हुआ??

जूनागढ़ शासक नवाब महावत खान था। जो एक मुस्लिम शासक था। परंतु वहां की जनता अधिकांश हिंदू थी। जब मोहम्मद खान ने पाकिस्तान में जाने का निर्णय किया। तो हिंदू जनता भड़क गई। जिससे 1948 में जनमत संग्रह के द्वारा जूनागढ़ को भारतीय संघ में मिला लिया गया।

जम्मू कश्मीर का भारतीय संघ में विलय।

सभी रियासतों की एकीकरण को देखें। तो सबसे विकट समस्या जम्मू-कश्मीर की थी। वहां का शासक हिंदू था। परंतु जनता अधिकांश मुस्लिम थी। और जम्मू-कश्मीर पाकिस्तान और भारत दोनों की सीमा में लगता था। अचानक पाकिस्तान की कूटनीति से 22 अक्टूबर 1947 को जम्मू कश्मीर पर हमला करवा दिया। उसके उपरांत जम्मू कश्मीर के राजा हरि सिंह ने भारत सरकार से सहायता का अनुरोध कर जम्मू कश्मीर के विलय के लिए सहमत हो गया।

 

 

Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी इंटरनेट के माध्यम से ली गई है इसलिए किसी भी प्रकार की त्रुटि होने पर यह वेबसाइट LotsDiary.com  जिम्मेदार नहीं होगी।

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