इसरो अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में एक सबसे बड़ी संस्था है। इस संस्था की स्थापना 1969 में हुई थी।
- हाल ही में इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन के द्वारा सबसे छोटा लघु उपग्रह (स्मॉल सेटेलाइट लॉन्च व्हीकल SSLV–D2) को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा आंध्र प्रदेश के द्वारा प्रक्षेपित किया गया है।
- SSLV–D1 यान का प्रथम प्रयास अगस्त 2022 में किया गया था। लेकिन यह सटीक कक्षा में स्थापित होने में असफल रहा। लेकिन इस बार इस यान में संरचनात्मक परिवर्तन कर पुनः प्रयास में सफलता प्राप्त हुई।
स्मॉल सेटेलाइट लॉन्च व्हीकल SSLV–D2 के द्वारा के इसरो ने पृथ्वी अवलोकन उपग्रह EOS–07 और दो सहयात्री उपग्रह Janus–1 एवं Azaadisat–2 को गोलाकार कक्षा में (450 किलोमीटर) में सफलता पूर्वक स्थापित किया।
EOS–07–– इस उपग्रह को पूरी तरह से इसरो ने तैयार किया है। जिसका वजन 156.3 किलोग्राम है।
Janus–1––इस उपग्रह का वजन 10.2 किलोग्राम है। जिसे अमेरिका की कंपनी अंतरिस द्वारा बनाया गया है।
Azaadisat–2––इस उपग्रह को चेन्नई की एक प्राइवेट कंपनी द्वारा स्पेस स्टार्टअप स्पेस किड्ज द्वारा बनाया गया। जिसका वजन 8.7 किलोग्राम है।
स्मॉल सेटेलाइट लॉन्च व्हीकल SSLV–D2 की क्या खासियत है ?
1. स्मॉल सेटेलाइट लॉन्च व्हीकल SSLV–D2 का उपयोग 500 किलोग्राम तक के उपग्रहों को लॉन्च करने में इस्तेमाल किया जाता है।
2. यह एक किफायती कीमत पर उपग्रहों को उसकी कक्षा में लांच करने की सुविधा उपलब्ध कराता है।
3. इस यान में इंधन को एकत्रित करने के 3 स्टेज है। जो सेटेलाइट लॉन्च करने में मदद करते हैं। इसकी लंबाई 34 मीटर तथा इसका वजन 120 टन तक है।
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