ग्रसनी (Pharynx)
ग्रसनी— तंत्र तथा पाचन तंत्र दोनों का हिस्सा माना जाती है। ग्रसनी एक मध्यम बनाती हैं। तथा लुगदी नुमा लसलसा भोजन को क्रमानुकुचन विधि से धीरे धीरे आमाशय में पहुंचती है।
नोट—ग्रसनी में पाचक रस नहीं निकलता है। इसलिए यहां पाचन क्रिया नहीं होती है।
आमाशय (Stomach)
हमारे पाचन तंत्र का सबसे चौड़ा हिस्सा आमाशय (Stomach) है। जिसमें भोजन 3 से 4 घंटे तक रहता है। आंशिक पाचन आमाशय के अंदर ही होता है। आमाशय के अंदर प्रोटीन एवं वसा का पाचन होता है। कार्बोहाइड्रेट का पाचन अमाशय के अन्दर नहीं होता हैं।
नोट— आमाशय की आंतरिक सतह के साथ एक विशेष ग्रंथि पाई जाती है। जिसे जठर या आमाशय ग्रंथि कहते हैं। इससे एक रस निकलता है। जिसे जठर रस कहते हैं।
# जठर रस का रासायनिक संगठन और प्रभाव ( Chemical composition and effects of gastric juice)
1. जल और चिकनाई (वसा)
जब मिलते हैं। तो यह है 3 से 4 घंटे रुके हुए, भोजन को और अधिक लसलसा बनाता है।
2. वसा आमाशय की दीवारों के साथ चिपक जाता हैं।
तथा उसे HCl अम्ल से सुरक्षा प्रदान करती हैं। जठर रस से निकला HCl हाइड्रोक्लोरिक अम्ल यह एक विशेष तौर का प्रबल बल हैं। यह भोजन को अम्लीय बनाता है ताकि भोजन सड़ नहीं पाता है। अम्लीय माध्यम से प्रोटीन के पाचन में आसानी करता है।
# HCl ज्यादा मात्रा में निकलने पर खान पान की समस्या होने लगती है। कारण दिनचर्या अच्छा नही होने पर, अम्लीय की समस्या से एसिडिटी की समस्या हो जाती है। जिस के लिए हम Eno या Gesofast का सेवन करते हैं।
# जठर रस में तीन एंजाइम होते हैं।
पेप्सिनोजेन, रेनिन और लाइपेज होते हैं।
पेप्सिनोजेन एंजाइम—यह एंजाइम प्रोटीन को पचाने में सहायक होता है। जैसे सोयाबीन, दाल, मूंगफली इत्यादि।
रेनिन एंजाइम—इसके दही, प्रोटीन, पनीर और छेना मिठाई इत्यादि प्रकार के कैसीन प्रोटीन को पचाने में रेनिन एंजाइम सहायक होता है।
खासकर बच्चों में, रेनिन एंजाइम ज्यादा स्रावित होता है। छोटे बच्चों की दूध की बोतल की नियमित सफाई ना होने पर बच्चों के मुंह से छाछ की तरह दूध बाहर आने लगता है। तब रेनिन एंजाइम की कमी हो जाती है। और दूध का सही से पाचन नहीं होता है। इसीलिए बच्चा फटे दूध की तरह पलटी करने लगता है।
लाइपेज एंजाइम— यह एंजाइम वसा का अधिकांश पाचन करता है।
अर्थात जठर रस की प्रकृति अम्लीय होती है। तथा जठर रस का ph मान 2 से 3 के बीच में होता है।