वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक गरीबी हो बहुत ही आंतरिक तौर पर दर्ज कर अपने आंकड़े प्रस्तुत करता है। जैसे स्वास्थ, शिक्षा और जीवन स्तर आदि। यह सूचकांक 111 विकासशील देशों की गरीबी को मापने का एक वैश्विक प्रणाली है। इसका प्रकाशन संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDO) और ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनीशिएटिव (OPHI) के द्वारा किया जाता है। इसका प्रकाशन 2010 से प्रत्येक वर्ष इन दोनों संस्थाओं के द्वारा किया जाता है।
# इस रिपोर्ट के अनुसार पूरे विश्व में बहु आयामी गरीबों की संख्या 1.2 अरब है।
# सबसे ज्यादा उप सहारा अफ्रीका 579 मिलियन बहुआयामी गरीब है।
# दूसरे स्थान पर सबसे ज्यादा दक्षिण एशिया में बहू आयामी गरीबों की संख्या 385 मिलीयन पर है। दोनों को मिलाकर पूरे देशों की लगभग 83% गरीब लोग इन दो जगहों पर रहते हैं।
# भारत देश में गरीबी वर्ष 2005–06 मैं 55.1% से घटकर वर्ष 2019–20 में घटकर 16.4% के आंकड़े तक पहुंच गई है। इस आंकड़ों से भारत ने बहुत बड़ी उपलब्धि प्राप्त की है। लेकिन अभी भी इसे कम करने की ओर प्रयास लगातार जारी रखना चाहिए।
# क्योंकि अभी भी भारत के 2022 के आंकड़े लिए जाए तो पूरे विश्व में सबसे ज्यादा गरीबी( 228.9 मिलीयन) अभी भी बरकरार है। इस के बाद नाइजीरिया है।
# भारत देश में शहरी क्षेत्र(5.5%) की तुलना में ग्रामीण क्षेत्र (21.2%) अधिक गरीब की अवस्था में है।
इस सूचकांक के द्वारा विभिन्न पहलू गरीबी को संकेत करते हैं।
* बच्चों का कुपोषण।
* स्कूली शिक्षा बाधित होना।
* पेयजल तक पहुंच न होना।
* बुनियादी स्वच्छता सेवाओं का अभाव होना।
* बिजली की पहुंच का अभाव।
* खाना पकाने के ईधन का अभाव।
* रेडियो, टीवी, टेलीफोन,कंप्यूटर और बाइक आदि आधुनिक संपत्ति का अभाव।
इन सभी संकेतों का आकलन करने संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDO) और ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनीशिएटिव (OPHI) की ये दोनों संस्थाएं इस सूचकांक का प्रकाशन करती है। इसके माध्यम से हमें विश्व की गरीबी एवं अपने देश की गरीबी के हालातों का जायजा मिलता है। जिससे हम आगे की नीतियों पर अलग तरह से काम कर पाते हैं। जिससे गरीबी को के स्तर को कम किया जा सके।
वर्तमान समय के आंकड़ों के आधार पर भारत ने गरीबी स्तर पर बखूबी काम किया है। जो कि आंकड़ों में प्रत्यक्ष रुप से दिखाई देता ।अभी भारत को गरीबी को निम्न स्तर पर लाने के लिए तत्पर प्रयास करना पड़ेगा। जिससे भारत की गरीबी के स्तर की स्थिति को
सुधारा जा सके।
इस सूचकांक के आंकड़े एक गरीबी स्तर के साथ-साथ बच्चों की शिक्षा, बिजली की उपलब्धता, पेयजल की उपलब्धता इत्यादि अनेक प्रकार के संकेतों के माध्यम से इस सूचकांक का प्रकाशन किया जाता है। जिससे इन आंकड़ों में गरीबी के निम्न स्तर का पता चल जाता है और हमारी सुविधाएं, शिक्षा या उपलब्धता की सेवाएं कितने स्तर पर कार्य कर रही है। और आगे कितना अच्छे प्रयास करने की जरूरत है।
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