मोनोसैकेराइड कार्बोहाइड्रेट (Monosaccharide Carbohydrates)— यह एक सरल कार्बोहाइड्रेट है। ये स्वाद में मीठा व जल में घुलनशील होता है। रासायनिक रूप में इसमें कुल 3 कार्बन से 6 कार्बन तक पाए जाते हैं।
मोनो—1
डाई —2
ट्राई—3
टेट्रा —4
पेरा —5
हेक्सा—6
# कार्बोहाइड्रेट का अनुपात (1 : 2 : 1) कार्बन,हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के परिपेक्ष में होता है।
# रासायनिक रूप में, जब कार्बन की मात्रा 3, हाइड्रोजन के 6 और ऑक्सीजन के 3 मिलकर ट्रायोज कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करते हैं।
# रासायनिक रूप में, जब कार्बन की मात्रा 4, हाइड्रोजन की मात्रा 6 तथा ऑक्सीजन की मात्रा 4 आइटम आपस मे मिलकर टेट्रोज कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करता है।
# रासायनिक रूप में, जब कार्बन की मात्रा 5, हाइड्रोजन की मात्रा 10 और ऑक्सीजन की मात्रा 5 होती है। तो यह सब आपस मे मिलकर पेंटोज कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करते हैं।
# जब जब कार्बन की मात्रा 6 हाइड्रोजन की मात्रा 12 और ऑक्सीजन की मात्रा 6 आपस मे मिलकर हेक्सोज कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करते हैं।
# मोनोसैकेराइड में सबसे ज्यादा पेंटोज और हेक्सोज का ही अध्ययन किया जाता है। इनमें से भी सबसे ज्यादा हेकसोज से सभी प्रतियोगिता परीक्षाओं में अधिकतर प्रश्न पूछा जाता है।
पेंटोज के प्रकार
1. राइबोज
2. डाओक्सी राइबोज
3. एर्रोनोज राइबोज
4.जालोज राइबोज
हेकसोज के प्रकार(अति महत्वपूर्ण भूमिका)
1. ग्लूकोज
2. फ्रेटोज
3. ग्लेकटोज
1.ग्लूकोज—ग्लूकोज को अन्य नामों से भी जाना जाता है। अंगूर की शर्करा, रक्त की शर्करा,ऊर्जा प्रदाता शर्करा और डेक्सट्रोज भी कहा जाता है।
नोट—प्राय: रासायनिक रूप में ग्लूकोज की दो अवस्था होती है। जिन्हें L–फॉर्म और D– फॉर्म के रूप में जाना जाता है।
L–फॉर्म– L–फॉर्म का हम पाचन नहीं कर पाते है।
D–फॉर्म– D–फॉर्म का हम पाचन कर पाते है। इसीलिए glucon-d बोला जाता है क्योंकि उसमें D–फॉर्म है।
ग्लूकोज प्राप्ति के स्रोत —अंगूर मीठे फल और शहद।
हमारी रक्त में ग्लूकोज— सामान्य भोज्य पदार्थ जिन्हें हम ग्रहण करते हैं। पाचन के बाद वह ग्लूकोज में परिवर्तित होता है। इस प्रकार ग्लूकोज की एक निश्चित मात्रा हमारे रक्त में मौजूद होती है। तथा ऊर्जा प्रदान करती है।
शरीर में गलुकोज की सामान्य मात्रा –हमारे शरीर में रक्त मे 80 से 115 mg/dl मात्रा एक सामान्य मात्रा है। जो स्वस्थ व्यक्ति के रक्त में मौजूद होती है।
शरीर में गलूकोज की कम मात्रा – हमारे शरीर में जब ग्लूकोज की मात्रा 50mg/dl से भी कम हो जाती है। तब हाइपोग्लाइसीमिया जैसी बीमारी हो जाती है। जिसमें व्यक्ति बेहोश, कोमा या उसकी मृत्यु भी हो सकती है।
शरीर में गलूकोज की अधिक मात्रा – हमारे शरीर में जो ग्लूकोज की मात्रा 180 से 220mg/dl के बीच में हो जाती है। तो “हाइपरग्लाइसीमिया” जैसी बीमारी हो जाती है।
जब शरीर में ग्लूकोज की मात्रा 240 mg/dl से अधिक होने पर व्यक्ति मधुमेह (डायबिटीज) बीमारी से ग्रसित हो जाता है।
नोट—यदि व्यक्ति स्वास्थ्य है। तो अधिक मात्रा का ग्लूकोज हमारी यकृत की कोशिका द्वारा ग्लाइकोजन में बदल दिया जाता है। तथा इसके लिए अग्नाशय से निकलने वाला इंसुलिन हार्मोन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। तथा शरीर में ग्लाइकोजन का भंडार हो जाता है।
आवश्यकता पड़ने पर ग्लाइकोजन पुनः ग्लूकोज में टूट जाता है। और हमें ऊर्जा प्रदान करता है। इसलिए ग्लाइकोजन को संग्रहित इंधन कहा जाता है।
यदि कोई व्यक्ति मधुमेह रोग से पीड़ित है।
तो ऐसी स्थिति में अधिक मात्रा का ग्लूकोज ग्लाइकोजन में बदल नहीं पाता क्योंकि शरीर में इंसुलिन हार्मोन की कमी होती है। ऐसी स्थिति में अधिक मात्रा का गलूकोज को हमारी किडनी रक्त के साथ छानकर उसे मूत्र में भेज देती है। इस प्रकार किडनी को अधिक कार्य करना पड़ता है। इसीलिए मधुमेह की स्थिति में किडनी के फेल होने की संभावना अधिक होती है।
2. फ्रैक्टोज
फ्रैक्टोज को भी अनेकों नामों से जाना जाता है। जैसे शहद की शर्करा, फल की शर्करा (सभी मीठे पके फल में) आदि
फ्रैक्टोज की मात्रा सबसे अधिक शहद से प्राप्त होती है। अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से मोटापा बढ़ता है।
3. ग्लेकटोज
दूध या दूध से बने उत्पादों में यह शर्करा पाई जाती है।
नोट— बच्चों का आहार दूध होता है। बच्चों के शरीर में एंजाइम बनता है। ग्लेकटोज एंजाइम, इस एंजाइम के द्वारा बच्चे के दूध का पाचन संपन्न होता है।
बच्चे की दूध की बोतल गंदी होने पर यह एंजाइम मर जाता है। जिससे गैलेक्टोसेमिया की समस्या (बच्चों में) होने लगती है। इस समस्या से बचने के लिए बच्चों की दूध की बोतल को साफ रखना जरूरी होता है।