पॉलीसैकेराइड कार्बोहाइड्रेट को बहुलक कार्बोहाइड्रेट भी कहा जाता है।
जब न्यूनतम 10 या 10 से अधिक अनंत तक मोनोसैकेराइड आपस में आपस में जोड़ते हैं। तो “अमाउंट बॉन्ड” बनाते हैं। इसे ही पॉलीसैकेराइड कहते हैं
पॉलीसैकेराइड के प्रमुख प्रकार
1. सेल्यूलोज
2. स्टार्च
3. ग्लाइकोजन
4. काईटीन
5. डेक्सट्रीन
6.पेक्टिन
1. सेल्यूलोज—यह रोटी, कपड़ा और मकान तीनों के लिए उपयोगी है। रूई में 92% सेल्यूलोज की मात्रा होती है। सूती वस्त्र बनाने के लिए भी सेल्यूलोज का उपयोग किया जाता है। सेल्यूलोज प्लांट सेल का निर्माण करते हैं। सभी पेड़ पौधों की बनावटऔर संरचना इसी के द्वारा संभव होती है।
सेल्यूलोज एक संरचनात्मक कार्बोहाइड्रेट है।
पृथ्वी पर पाया जाने वाला सबसे अधिक मात्रा का कार्बोहाइड्रेट है।
गन्ने की अवशेष (खोई) में पाया जाता है।
# इसका उपयोग कागज बनाने में, करंसी (नोट) बनाने में, सेल्यूलोज का उपयोग होता है। सेनेटरी पैड भी इसके द्वारा बनाया जाता है।
2. स्टार्च— यह भोजन के रूप में मौजूद पॉलीसैकेराइड है। पकाने पर या उबालने पर, इसके आकार में वृद्धि हो जाती है। स्टार्च का उपयोग करके कैप्सूल (दवाई) का खोल बनाया जाता है।
स्टार्च का पाचन— हमारे पाचन कार्य में स्टार्च का पाचन मुख गुहा से ही प्रारंभ हो जाता है। इसके लिए लार से निकलने वाला टाइलिन इंजाइम जिम्मेदार होता है।
3. ग्लाइकोजन— इसे प्राणिज कार्बोहाइड्रेट
भी कहा जाता है। क्योंकि यह हमारे लीवर व मांसपेशियों में इकट्ठा होता है। इसे संग्रहित इंधन भी कहा जाता है। क्योंकि आवश्यकता पड़ने पर ग्लाइकोजन ग्लूकोज में बदल जाता है।
4. काईटीन— यह भी एक संरचनात्मक कार्बोहाइड्रेट है। यह कीट पतंगों के ऊपरी सतह पर पाया जाता है। उदाहरण– कॉकरोच ।
कवक की कोशिका भित्ति काईटीन की ही बनी होती है।
5. डेक्सट्रीन— डेक्सट्रीन भुने हुए चावल और रोटी मे मिलता है।
डेक्सट्रीन जब पाचन क्रिया में होता है। तो वह लार में टायलिन एंजाइम के साथ मिलकर फ्रुक्टोज में बदल जाता है। फ्रुक्टोज के कारण रोटी चबाने पर हल्का मीठा स्वाद लगता है। फ्रुक्टोज सबसे मीठी शर्करा है।
6.पेक्टिन— यह एक सीमेंटिंग एजेंट है। जो पादप कोशिकाओं को आपस में चिपकाए रखता है। इसके कारण से पादप दृढ़ (मजबूत) हो जाती है।