• About
  • Contcat Us
  • Latest News
Lots Diary
  • Job Alert
  • करेंट अफेयर्स
  • यात्रा
  • विज्ञान
  • राजनीति विज्ञान
  • राष्ट्रीय
  • शिक्षा
  • इतिहास
    • आधुनिक
    • प्राचीन
    • मध्यकालीन
  • संस्कृति
  • स्वास्थ्य
No Result
View All Result
  • Job Alert
  • करेंट अफेयर्स
  • यात्रा
  • विज्ञान
  • राजनीति विज्ञान
  • राष्ट्रीय
  • शिक्षा
  • इतिहास
    • आधुनिक
    • प्राचीन
    • मध्यकालीन
  • संस्कृति
  • स्वास्थ्य
No Result
View All Result
Lots Diary
No Result
View All Result
ADVERTISEMENT

श्री जगन्नाथ मंदिर जी की रथ यात्रा एवं चमत्कार ( Shree Jagannath Puri Rath Yatra )

0
75
SHARES
Share on FacebookShare on TwitterShare on PinterestShare on WhatsappShare on TelegramShare on Linkedin

श्री जगन्नाथ जी की रथ यात्रा ( Shree Jagannath Rath Yatra )

आषाढ़ महीने में इस भारत यात्रा का आयोजन किया जाता है बताया जाता है कि भगवान रथ पर सवार होकर अपनी मौसी गुड़िचा के घर जाते हैं। 5 किलोमीटर में फैले पुरुषोत्तम क्षेत्र में ही इस रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है। भगवान अपनी मौसी के घर 8 दिन तक रहते हैं  आषाढ़ शुक्ला दशमी को वापसी की यात्रा होती है जगन्नाथ का रथ नंदीघोष है पूरी के गजपति महाराज सोने की झाड़ू बुहारते हुए चलते हैं।

Shree Jagannath mandir Puri Rath Yatra

जगन्नाथ मंदिर हिंदुओं का एक प्राचीन मंदिर है और पवित्र 7 नगरों में पुरी उड़ीसा राज्य के तट पर स्थित है। जगन्नाथ मंदिर में विष्णु भगवान के आठवें अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है। उड़ीसा को प्राचीन काल में उत्कल प्रदेश के नाम से जाना जाता था यह एक प्रसिद्ध बंदरगाह था। जहां से इंडोनेशिया, थाईलैंड ,सुमात्रा और जावा इत्यादि देशों में इसी बंदरगाह इसमें व्यापार होता था। अगर हम पुराणों में देखें तो इस धरती को बैकुंठ के नाम से जाना जाता है। पुरुषोत्तम हरि को यह भगवान राम का रूप माना जाता है। माना गया है सबसे प्राचीन मत्स्य पुराण में लिखा है कि पुरुषोत्तम क्षेत्र की देवी विमला और यहां उनकी पूजा की जाती है रामायण के उत्तराखंड के अनुसार भगवान राम ने रावण के भाई विभीषण को अपनी इक्ष्वाकु वंश के देव कुलदेवता भगवान श्री जगन्नाथ जी की आराधना करने को कहा आज भी पूरी के श्री जगन्नाथ मंदिर में विभीषण वंदापन की परंपरा कायम है। स्कंद पुराण के अनुसार यह पांच कोष यानी 16 किलोमीटर क्षेत्र में फैला था।बताया जाता है कि लगभग 2 कोस बंगाल की खाड़ी में डूब चुका है। पुरी में हर वर्ष जगन्नाथ जी की रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है। जो हिंदू रीति रिवाज के अनुसार संपन्न होता है  यहां जब रथ यात्रा होती है उस समय बहुत अधिक बडी संख्या में श्रद्धालु इसमें शामिल होने के लिए आते हैं। यह बेहद प्राचीन समय से इस रथ यात्रा का आयोजन किया जा रहा है जो आज भी चल रहा है।

श्री जगन्नाथ मंदिर में चमत्कार

1. श्री जगन्नाथ मंदिर के ऊपर स्थापित   लाल ध्वज है। जो सदैव ही हवा के विपरीत दिशा में लहरता हुआ दिखाई पड़ता है। आश्चर्य की बात यह है यह प्रतिदिन साईं काल में मंदिर के ऊपर स्थापित ध्वज  को मानव उल्टा चल चढ़कर बदलता है। ध्वज पर शिव का चंद्र बना हुआ है।

2. श्री जगन्नाथ जी का मंदिर 400000 वर्ग फुट क्षेत्र में फैला हुआ है। जिसकी ऊंचाई लगभग 214 फिट है।आश्चर्य की बात यह है कि मुख्य गुंबद की छाया या प्रीतिबिम्ब दिन के किसी भी समय नहीं बनती है।

3.  श्री जगन्नाथ मंदिर के ऊपर लगा सुदर्शन चक्र पूरी के किसी भी स्थान से देख सकते हैं। सुदर्शन चक्र  सदैव आपको अपने सामने ही लगेगा। इस नील चक्र भी कहा जाता है यह अष्टधातु से निर्मित, अति पावन, पवित्र माना जाता है।

4. अधिकतर समुद्री तटों पर हवा समुंद्र से जमीन की तरफ बहती है लेकिन पूरी में हवा जमीन से समुंदर की ओर बहती है यह प्रकृति का उल्टा स्वरूप प्रतीत होता हैं।

5. मंदिर के मुख्य गुंबद के ऊपर या आसपास कोई पंछी उड़ता हुआ नहीं दिखाई देता। इसके ऊपर कोई विमान उड़ाया नहीं जा सकता जबकि भारत के अधिकतर मंदिरों के  गुंबद  पर पंछी बैठे रहते हैं,और उड़ते हुए नजर आते हैं।

6. दुनिया की सबसे बड़ा रसोईघर जगन्नाथ पुरी के मंदिर मैथ में स्थापित है।जिसमें लगभग 500 रसोई है, और 300 सहयोगियों के साथ खाना बनाया जाता है ।यहां लगभग 20लाख भक्त भोजन कर सकते हैं। मंदिर के अंदर पकाने के लिए भोजन की मात्रा पूरे वर्ष के लिए रहती है। प्रसाद का एक भी दाना कभी भी व्यर्थ नहीं जाता। सभी खाना लकड़ी पर पकाया जाता है। मंदिर के प्रसाद को पकाने के लिए 7 वर्ष बर्तन एक दूसरे के ऊपर रखे जाते हैं। इस प्रक्रिया के अनुसार सिर्फ सबसे ऊपर वाले बर्तन की सामग्री सबसे पहले पक जाती है। और यह प्रक्रिया नीचे की तरफ एक के बाद एक पक्का हुआ चल जाता है। यह प्रक्रिया किसी चमत्कार से कम नहीं है।

7. मंदिर के सिंहद्वार में पहला कदम प्रवेश करने पर आप समुंद्र के ध्वनि नहीं सुनाई देगी मंदिर के एक ही कदम  बाहर रखने पर आपको यह ध्वनि सुनाई देगी अगर आप इसे स्वयं इसका अनुभव करना चाहते हैं। शाम के समय इसका स्पष्ट अनुभव किया जा सकता है।

8. इसी तरह मंदिर के बाहर एक स्वर्गद्वार है जहां पर मोक्ष प्राप्ति के लिए शवो को जलाया जाता है। लेकिन मंदिर के अंदर लाशों के जलने की गंध महसूस नहीं होगी। लेकिन मंदिर के बाहर निकलने के उपरांत आपको इस लाशों की जलने की गंध महसूस होने लगेगी।

ऐसा बताया जाता है कि हनुमान जी जगन्नाथ भगवान इस मंदिर की समुंद्र से रक्षा करते हैं। इससे जुड़ी एक प्रसिद्ध कहानी है कि जब हनुमान जी भगवान जगन्नाथ  के दर्शन करने के लिए आ जाते थे । उनके साथ साथ ही समुंद्र भी उनके पीछे पीछे श्री जगन्नाथ जी का दर्शन करने के लिए आ जाता था । माना जाता है कि तीन बार समुंद्र में जगन्नाथ जी के मंदिर को तोड़ दिया था केसरी नंदन हनुमान जी की इस आदत से परेशान होकर जगन्नाथ महाप्रभु ने हनुमान जी को यहां स्वर्ण बीड़ी से बांधकर जगन्नाथ पुरी की रक्षा करने के लिए कहा, यहां जगन्नाथपुरी में ही सागर तट पर  बेदी हनुमान का प्राचीन प्रसिद्ध मंदिर स्थापित है भक्तों का विशाल भीड़ भगवान श्री हनुमान जी के दर्शन करने के लिए इस मंदिर में आते हैं।

Share30Tweet19Pin7SendShareShare5
Previous Post

वृन्दावन (उत्तर प्रदेश) “भगवान कृष्ण का बचपन का निवास”।

Next Post

मानव स्वास्थ्य में वसा का महत्व (Fat)

Related Posts

Great Revolution of 1857 AD
इतिहास

1857 ई. की महान क्रांति

India's freedom struggle important facts
इतिहास

भारत का स्वतंत्रता संग्राम महत्वपूर्ण तथ्य

Important organizations and institutions related to Indian religious, social and national revolution
इतिहास

भारतीय धार्मिक, सामाजिक एवं राष्ट्रीय क्रांति से संबंधित महत्वपूर्ण संगठन एवं संस्थाएँ

Important news and magazines related to Indian national news
इतिहास

भारतीय राष्ट्रीय समाचार से संबंधित महत्वपूर्ण समाचार एवं पत्रिकाएँ

Arrival of European trading companies in India
इतिहास

भारत में यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों का आगमन

British dominance over Bengal
इतिहास

बंगाल पर ब्रिटिश प्रभुत्व

Next Post

मानव स्वास्थ्य में वसा का महत्व (Fat)

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms & Conditions and Privacy Policy.

POPULAR

IPC dhara 406, IPC Section 406

IPC धारा 406 : IPC Section 406 : प्रक्रिया : सजा : जमानत : बचाव।

Easiest way to learn Sanskrit संस्कृत कैसे सीखें, संस्कृत सीखने का सबसे आसान तरीका

संस्कृत कैसे सीखें | संस्कृत सीखने का सबसे आसान तरीका।

IPC dhara 354 IPC Section 354

IPC धारा 354 : IPC Section 354 : प्रक्रिया : सजा : जमानत : बचाव।

IPC dhara 326 IPC Section 326

IPC धारा 326 : IPC Section 326 : प्रक्रिया : सजा : जमानत : बचाव।

Kothari Commission Report 1964-1960 कोठारी आयोग की रिपोर्ट

कोठारी आयोग की रिपोर्ट (1964-1960)

About

LotsDiary विश्व की प्राकृतिक सुंदरता, वर्तमान परिपेक्ष के समाचार, प्रसिद्ध व्यक्तियों के व्यक्तित्व आदि। इन सभी को एक आसान भाषा में लोगों तक पहुंचाने तथा विश्व की वर्तमान गतिविधियों को लोगो की समझ कराने पर आधारित है।

Contact us: info@lotsdiary.com

Follow us

If your content seems to be copyrighted or you find anything amiss on LotsDiary. So feel free to contact us and ask us to remove them.
  • Privacy Policy
  • Terms of Use and Disclaimer
  • Contact Us
  • About

Copyright © 2025 Lots Diary All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Job Alert
  • करेंट अफेयर्स
  • यात्रा
  • विज्ञान
  • राजनीति विज्ञान
  • राष्ट्रीय
  • शिक्षा
  • इतिहास
    • प्राचीन
    • आधुनिक
    • मध्यकालीन
  • संस्कृति
  • स्वास्थ्य
  • अर्थशास्त्र
    • भारतीय अर्थव्यवस्था

Copyright © 2025 Lots Diary All Rights Reserved.

This website uses cookies. By continuing to use this website you are giving consent to cookies being used. Visit our Privacy and Cookie Policy.