श्री जगन्नाथ जी की रथ यात्रा ( Shree Jagannath Rath Yatra )
आषाढ़ महीने में इस भारत यात्रा का आयोजन किया जाता है बताया जाता है कि भगवान रथ पर सवार होकर अपनी मौसी गुड़िचा के घर जाते हैं। 5 किलोमीटर में फैले पुरुषोत्तम क्षेत्र में ही इस रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है। भगवान अपनी मौसी के घर 8 दिन तक रहते हैं आषाढ़ शुक्ला दशमी को वापसी की यात्रा होती है जगन्नाथ का रथ नंदीघोष है पूरी के गजपति महाराज सोने की झाड़ू बुहारते हुए चलते हैं।
जगन्नाथ मंदिर हिंदुओं का एक प्राचीन मंदिर है और पवित्र 7 नगरों में पुरी उड़ीसा राज्य के तट पर स्थित है। जगन्नाथ मंदिर में विष्णु भगवान के आठवें अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है। उड़ीसा को प्राचीन काल में उत्कल प्रदेश के नाम से जाना जाता था यह एक प्रसिद्ध बंदरगाह था। जहां से इंडोनेशिया, थाईलैंड ,सुमात्रा और जावा इत्यादि देशों में इसी बंदरगाह इसमें व्यापार होता था। अगर हम पुराणों में देखें तो इस धरती को बैकुंठ के नाम से जाना जाता है। पुरुषोत्तम हरि को यह भगवान राम का रूप माना जाता है। माना गया है सबसे प्राचीन मत्स्य पुराण में लिखा है कि पुरुषोत्तम क्षेत्र की देवी विमला और यहां उनकी पूजा की जाती है रामायण के उत्तराखंड के अनुसार भगवान राम ने रावण के भाई विभीषण को अपनी इक्ष्वाकु वंश के देव कुलदेवता भगवान श्री जगन्नाथ जी की आराधना करने को कहा आज भी पूरी के श्री जगन्नाथ मंदिर में विभीषण वंदापन की परंपरा कायम है। स्कंद पुराण के अनुसार यह पांच कोष यानी 16 किलोमीटर क्षेत्र में फैला था।बताया जाता है कि लगभग 2 कोस बंगाल की खाड़ी में डूब चुका है। पुरी में हर वर्ष जगन्नाथ जी की रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है। जो हिंदू रीति रिवाज के अनुसार संपन्न होता है यहां जब रथ यात्रा होती है उस समय बहुत अधिक बडी संख्या में श्रद्धालु इसमें शामिल होने के लिए आते हैं। यह बेहद प्राचीन समय से इस रथ यात्रा का आयोजन किया जा रहा है जो आज भी चल रहा है।
श्री जगन्नाथ मंदिर में चमत्कार
1. श्री जगन्नाथ मंदिर के ऊपर स्थापित लाल ध्वज है। जो सदैव ही हवा के विपरीत दिशा में लहरता हुआ दिखाई पड़ता है। आश्चर्य की बात यह है यह प्रतिदिन साईं काल में मंदिर के ऊपर स्थापित ध्वज को मानव उल्टा चल चढ़कर बदलता है। ध्वज पर शिव का चंद्र बना हुआ है।
2. श्री जगन्नाथ जी का मंदिर 400000 वर्ग फुट क्षेत्र में फैला हुआ है। जिसकी ऊंचाई लगभग 214 फिट है।आश्चर्य की बात यह है कि मुख्य गुंबद की छाया या प्रीतिबिम्ब दिन के किसी भी समय नहीं बनती है।
3. श्री जगन्नाथ मंदिर के ऊपर लगा सुदर्शन चक्र पूरी के किसी भी स्थान से देख सकते हैं। सुदर्शन चक्र सदैव आपको अपने सामने ही लगेगा। इस नील चक्र भी कहा जाता है यह अष्टधातु से निर्मित, अति पावन, पवित्र माना जाता है।
4. अधिकतर समुद्री तटों पर हवा समुंद्र से जमीन की तरफ बहती है लेकिन पूरी में हवा जमीन से समुंदर की ओर बहती है यह प्रकृति का उल्टा स्वरूप प्रतीत होता हैं।
5. मंदिर के मुख्य गुंबद के ऊपर या आसपास कोई पंछी उड़ता हुआ नहीं दिखाई देता। इसके ऊपर कोई विमान उड़ाया नहीं जा सकता जबकि भारत के अधिकतर मंदिरों के गुंबद पर पंछी बैठे रहते हैं,और उड़ते हुए नजर आते हैं।
6. दुनिया की सबसे बड़ा रसोईघर जगन्नाथ पुरी के मंदिर मैथ में स्थापित है।जिसमें लगभग 500 रसोई है, और 300 सहयोगियों के साथ खाना बनाया जाता है ।यहां लगभग 20लाख भक्त भोजन कर सकते हैं। मंदिर के अंदर पकाने के लिए भोजन की मात्रा पूरे वर्ष के लिए रहती है। प्रसाद का एक भी दाना कभी भी व्यर्थ नहीं जाता। सभी खाना लकड़ी पर पकाया जाता है। मंदिर के प्रसाद को पकाने के लिए 7 वर्ष बर्तन एक दूसरे के ऊपर रखे जाते हैं। इस प्रक्रिया के अनुसार सिर्फ सबसे ऊपर वाले बर्तन की सामग्री सबसे पहले पक जाती है। और यह प्रक्रिया नीचे की तरफ एक के बाद एक पक्का हुआ चल जाता है। यह प्रक्रिया किसी चमत्कार से कम नहीं है।
7. मंदिर के सिंहद्वार में पहला कदम प्रवेश करने पर आप समुंद्र के ध्वनि नहीं सुनाई देगी मंदिर के एक ही कदम बाहर रखने पर आपको यह ध्वनि सुनाई देगी अगर आप इसे स्वयं इसका अनुभव करना चाहते हैं। शाम के समय इसका स्पष्ट अनुभव किया जा सकता है।
8. इसी तरह मंदिर के बाहर एक स्वर्गद्वार है जहां पर मोक्ष प्राप्ति के लिए शवो को जलाया जाता है। लेकिन मंदिर के अंदर लाशों के जलने की गंध महसूस नहीं होगी। लेकिन मंदिर के बाहर निकलने के उपरांत आपको इस लाशों की जलने की गंध महसूस होने लगेगी।
ऐसा बताया जाता है कि हनुमान जी जगन्नाथ भगवान इस मंदिर की समुंद्र से रक्षा करते हैं। इससे जुड़ी एक प्रसिद्ध कहानी है कि जब हनुमान जी भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने के लिए आ जाते थे । उनके साथ साथ ही समुंद्र भी उनके पीछे पीछे श्री जगन्नाथ जी का दर्शन करने के लिए आ जाता था । माना जाता है कि तीन बार समुंद्र में जगन्नाथ जी के मंदिर को तोड़ दिया था केसरी नंदन हनुमान जी की इस आदत से परेशान होकर जगन्नाथ महाप्रभु ने हनुमान जी को यहां स्वर्ण बीड़ी से बांधकर जगन्नाथ पुरी की रक्षा करने के लिए कहा, यहां जगन्नाथपुरी में ही सागर तट पर बेदी हनुमान का प्राचीन प्रसिद्ध मंदिर स्थापित है भक्तों का विशाल भीड़ भगवान श्री हनुमान जी के दर्शन करने के लिए इस मंदिर में आते हैं।