हाल ही में आभासी रूप में भारत का पक्ष रखने लिए भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन की 21वी बैठक में आभासी रूप में भाग लिया।
उससे पहले भारत के प्रधानमंत्री उज़्बेकिस्तान के समरकंद में हुई शंघाई आयोग की बैठक में भाग लिया था। और रोटेशनल वार्षिक अध्यक्षता 2023 के लिए ग्रहण की थी।
शंघाई आयोग संघ की बैठक के मुख्य विषय
• भुखमरी गरीबी जलवायु परिवर्तन आतंकवाद और क्षेत्रीय सहयोग जैसे मुद्दों पर इस बैठक में वार्ता हुई।
• शंघाई आयोग की बैठक में रूस–यूक्रेन युद्ध के परिवेश में दोनों पक्षों के मध्य शांति स्थापित करने के परिपेक्ष में भी वार्ता की गई।
• बैठक में भारत ने अपने पक्ष को दर्शाते हुए कहा कि क्षेत्रीय मुद्दे की प्रकृति बहुत जटिल होती जा रही है। इसका प्रभाव केवल क्षेत्रीय स्तर पर नहीं अपितु वैश्विक स्तर तक हो गया है।
• भारतीय विदेश मंत्री द्वारा कहा गया कि द्विपक्षीय संबंधों द्वारा सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखना अति आवश्यक है।
• वैश्विक अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए नागरिकों के जीवन स्तर को गति प्रदान करने के लिए एक दृष्टिकोण अपनाए जाने की आवश्यकता है।
• उल्लेखनीय है कि समरकंद घोषणा पत्र को भी अपनाया गया। जो क्षेत्रीय स्तर, सतत आर्थिक विकास, संचार संबंध और परिवहनो के मध्य सांस्कृतिक संवाद को मजबूती प्रदान करने के लिए बनाया गया हैं।
• शंघाई सहयोग संगठन के सभी सदस्य आतंकवाद को रोकने के लिए संयुक्त विरोधी अभ्यास कर रहे हैं।( Pabbi – Anti Terror–2021)
शंघाई सहयोग संगठन (SCO)
• शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना 2001 में की गई थी। यह एक स्थाई अंतर–सरकारी संगठन है।
• जिसका मुख्यालय शंघाई में स्थित है। शंघाई सहयोग संघटन कुल सदस्य 8 हैं।
• 2017 में भारत और पाकिस्तान दोनों देशों ने शंघाई सहयोग संगठन की सदस्यता में शामिल हुए।
• यह एक यूरेशियन राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा संगठन है
• इसका मुख्य उद्देश्य यूरेशियन क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखना है।
• शंघाई सहयोग संगठन दुनिया की GDP का 30% प्रतिनिधित्व करता है।
• यह विश्व की जनसंख्या का 40% प्रतिनिधित्व करता है।
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