जिव्हा एक स्वाद इंद्री है। यह एक माशलदार संवेदआंग है। जिसका कार्य स्वाद संवेदना देना है। इसमें सूक्ष्म स्वाद कणिकाएं होती हैं। जो सीधे तंत्रिका तंत्र से संबंध रखकर स्वाद संवेदना को स्पष्ट कराती हैं।
जिव्हा के आधार भाग से हमें कड़वा, कसैला और तीखे स्वाद की अनुभूति होती है।
उदाहरण —हरी लाल मिर्च।
जिव्हा के शीर्ष भाग से हमें मीठे स्वाद का पता चलता है। जैसे—रसगुल्ले।
जिव्हा की ऊपरी पार्शव किनारो से हमे खट्टे स्वाद की अनुभूति होती है। खट्टी स्वाद की अनुभूति हमें जिव्हा के दोनों पार्शव किनारो से होती है। उदाहरण—इमली।
जिव्हा के निचले पार्शव किनारो से हमें नमकीन स्वाद की अनुभूति होती है। नमकीन स्वाद की अनुभूति हमें जिव्हा के दोनों निचले पार्शव किनारो से होती है। जैसे—नमक।
लार ग्रंथिया ( Salivary Glands )
स्तनधारी में नलिकाओ में एक निश्चित प्रणाली माध्यम से लार उत्पन्न होती है। लार में अनेक पदार्थ उपस्थित होते हैं।
जैसे – एमाइलेज (amylase), इसके द्वारा स्टार्च को माल्टोज और ग्लूकोज में तोड़ दिया जाता है।
लार ग्रंथि के प्रकार
लार ग्रंथि हमेशा जोड़े में होती है। अर्थात (3×2=6)
प्रमुख तीनप्रकार की लार ग्रंथियां होती है।
1. पैरोटिड लार ग्रंथियां— ये लार ग्रंथि बिलकुल कान के पास जबड़े के पीछे वाले हिस्से में होती हैं। ये सबसे बड़ी लार ग्रंथि हैं।
वायरस से संक्रमित होने पर गलसुआ बिमारी हो जाती हैं।
2. सबलिंगुअल लार ग्रंथियां— जिव्हा के ठीक नीचे दांतो के दोनों तरफ ये लार ग्रंथि होती है।
3. सबमांडिबुलर लार ग्रंथियां— ये ग्रंथि जबड़े के अग्र भाग में दोनो तरफ होती हैं।
लार ग्रंथि का रसायनिक संगठन
1. जल+ चिकनाई
यह दोनों भोजन के साथ मिलकर भोजन को लसलसा व लुगदी नुमा बना देते हैं।
2. लायसोजाइम एंजाइम
भोजन में मौजूद हानिकारक कीटाणु को समाप्त कर देता है।
3. टायलीन एंजाइम
भोजन में मौजूद स्टार्च (आलू,चावल) का पाचन करता है। (मानव का पाचन वास्तव में (मुख गुहा से) से ही प्रारंभ होता है।
4. बाइकार्बोनेट
यह ph मान को संतुलित बनाए रखता है। लार का ph मान 6.8 से 7.2 के बीच होता है।