यकृत के बारे में हम अध्ययन करें। तो जिस तरह एक बच्चे की देखभाल उसकी माता करती है। उसी तरह शरीर की भी मुख्य देखभाल हमारे यकृत के द्वारा की जाती है। यह सबसे बड़ी ग्रंथि है। इसका वजन 1.5 से 2.5 किलोग्राम के बीच होता है। हमारे शरीर में इसका स्थान गुदाद्वार के दाहिनी तरफ उपस्थित होता है। यह हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है।
# यकृत हमारे शरीर में 250 से ज्यादा कार्य करता है। पाचन तंत्र में भी इसका एक महत्वपूर्ण योगदान है। वैसे पाचन तंत्र में इसका कोई प्रत्यक्ष योगदान नहीं है। पर अप्रत्यक्ष रूप से यकृत (liver) बहुत कार्य करता है।
# इसी यकृत के पास एक विशेष अंग भी होता है जिसे पित्त की थैली (पित्ताशय)(goll bladder) कहा जाता है। पित्त की थैली से एक रस निकलता है। जिसे पित्त रस कहते हैं। पित्त रस हमारे भोजन में मौजूद वसा के पाचन में अप्रत्यक्ष रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यकृत के कार्य
1. निरविषयकारक का कार्य
यकृत की कोशिका शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों का अवशोषण करती है। तथा हानिकारक प्रभावों से बचाते हैं।
इसीलिए जब कोई व्यक्ति जहर खाकर आत्महत्या करता है। तो पोस्टमार्टम हाउस में उस व्यक्ति के लिवर की जांच की जाती है।
2. यकृत हमारे शरीर के तापमान को नियत बनाता है।
3. जल संतुलन, अम्ल छार संतुलन का भी कार्य यकृत द्वारा किया जाता है।
4. जब हम ज्यादा मात्रा में कार्बोहाइड्रेट का सेवन करते हैं तो (600 ग्राम प्रति डे लिमिट से ज्यादा) इस दशा में यकृत कोशिकाएं कार्बोहाइड्रेट ग्लूकोज को ग्लाइकोजन में बदलकर स्वयं में (यकृत में) संग्रहित कर लेते हैं तथा ऊर्जा की कमी होने पर ग्लाइकोजन को ग्लूकोज में बदलकर हमारे शरीर की ऊर्जा संतुलन को बनाए रखता है।
5. प्रोटीन की मात्रा को नियंत्रित रखने में भी यकृत की अहम भूमिका है।