डाइसैकेराइड— जब दो मोनोसैकेराइड आपस में जुड़ते हैं। तो वह आपस में बंध बनाते हैं जिस डाइसैकेराइड बनते हैं।
यह जल में घुलनशील होते हैं
स्वाद में मीठे भी हो सकते हैं। और नहीं भी, दोनों प्रकार के हो सकते हैं।
प्रमुख उदाहरण निम्न प्रकार है।
1. सुक्रोज
2. माल्टोज
3. लेक्टोज
1. सुक्रोज—सुक्रोज को गन्ने की शर्करा गन्ने और चुकंदर की शर्करा भी नाम से जाना जाता है। गन्ने की शर्करा में (12 से 13% चीनी की मात्रा) तथा चुकंदर की शर्करा में (18% चीनी की मात्रा) उपस्थित होती है।
नोट— सुक्रोज के द्वारा चीनी suger (c12h22o11) बनाई जाती है।
2. माल्टोज— माल्टोज मोटे अनाजों में जैसे ज्वार, बाजरा, रागी, जो इत्यादि से मिलती है। माल्टोज की सबसे अधिक मात्रा जो में मिलती है। इसलिए इसे जई शर्करा भी कहा जाता हैं।
अर्थात दो मोनोसैकेराइड से मिलकर डाइसैकेराइड बनता है इसी प्रकार l ग्लूकोज के दो अणु से मिलकर माल्टोज का निर्माण करता है।
3. लेक्टोज— यह शर्करा दूध या दूध से बने उत्पादों में मिलती है। इसलिए इसे दुग्ध शर्करा भी कहा जाता है। दूध होने के कारण ही इसमें मिठास आती है।
अर्थात ग्लूकोज और गलेक्टोज के अणु आपस में मिलकर लेक्टोज का निर्माण करते हैं।
नोट—;यह केवल जंतु स्रोतों से प्राप्त होने वाला कार्बोहाइड्रेट है।
नोट— सुक्रोज,लेक्टोज और माल्टोज आदि का पाचन काफी समय में हो पाता है और इनका पाचन हमारी छोटी आंत के द्वारा किया जाता है।
ओलिगोसैकेराइड कार्बोहाइड्रेट के बारे में।
ओलिगोसैकेराइड कार्बोहाइड्रेट
3 या 3 से अधिक तथा 10 से कम मोनोसैकेराइड के अणु आपस में मिलकर बंद बनाते हैं। तो ऐसे ही ओलिगोसैकेराइड कहते हैं।
यह जल में घुलनशील तो होती है पर स्वाद में मीठी नहीं होती है।
उदारण– रेफिनोज
इसमें तीन मोनोसैकेराइड के अणु मिलकर रेफिनोज का निर्माण करते हैं।
( ग्लूकोज+फ्रक्टोज+गलेक्टोज )
यह हमें हरी सब्जियां, सूखे मेवे आदि से प्राप्त होती है।