भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा ज्ञात की गई दो बोनी किस्मों का नाम पूसा नरेंद्र कालानमक 1638 और पूसा नरेंद्र कालानमक 1652 रखा गया। जो पुरानी फसल की अपेक्षा दोगुना उत्पादन देने में सक्षम है।
- यह किस्म बौद्ध काल की मूलत: मानी गई है। और इस फसल को आयरन और जिंक जैसे पोषक तत्वों से भी युक्त बताया गया है।
- इस चावल की फसल को 2012 में भारत सरकार द्वारा जीआई टैग भी दिया गया है।
- इस चावल की नई फसल में 11% प्रोटीन है। जो आम चावल की अपेक्षा दोगुना है।
- बताया जा रहा है कि इसमें ऐसे एंटी ऑक्सीडेंट भी उपलब्ध है। जिससे हृदय रोगियों को निजात प्राप्त होगी तथा यह मधुमेह रोगियों के लिए भी उपयुक्त होगी।