ऋषिकेश देहरादून जिले के उत्तराखंड प्रदेश का एक नगर है। जो कि प्रसिद्ध प्रसिद्ध हिंदू तीर्थ स्थल है। ऋषिकेश हरिद्वार से 25 किलोमीटर तथा देहरादून से 43 किलोमीटर दूर स्थित है। ऋषिकेश को हिमालय का प्रवेश द्वार, वैश्विक योग राजधानी या योग नगरी का नाम भी दिया जाता है। ऋषिकेश गंगा की उपस्थिति के कारण भी बहुत प्रसिद्ध है। यह समुद्र तल से 360 फीट ऊंचाई पर स्थित है भारत की प्रसिद्ध स्थल में से एक है। जहां से पर्वतों से होती हुई गंगा की बहती धारा अतुल्य दृश्य प्रदर्शन करती है। ऋषिकेश से गुजर कर ही केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमनोत्री इत्यादि तीर्थ स्थल पर पहुंचते हैं। ऐसा मानना है कि इस स्थान पर ध्यान लगाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी कारण से बहुत से तीर्थयात्री ध्यान लगाने और मन की शांति की चाहत में आते हैं। और आध्यात्मिक सुख की प्राप्ति करते हैं।
प्रमुख मान्यताएं
- पुरातात्विक कथाओं के आधार पर यह माना जाता है कि जिस समय देवताओं समुंद्र मंथन किया था। निकलने वाले विष का पान महादेव शिव ने इसी स्थान पर ग्रहण किया था। विष पीने के बाद ही महादेव शिव का गला नीला पड़ गया। इस कारण से ही नीलकंठ के नाम से महादेव को बुलाया जाने लगा।
- श्री रामजी के वनवास के दौरान कुछ समय गुजारने के प्रमाण ऋषिकेश में माने जाते हैं। ऐसा बताया जाता है कि जो लक्ष्मण झूला जो आज आप देखते हैं। उस झूले का निर्माण श्री राम जी के वनवास के समय रस्सी से बनाया गया था। इसी कारण से इस झूले को लक्ष्मण झूला का नाम से जाना जाता है।
- ऋषि रैभय ने कठोर तपस्या ऋषिकेश में की थी। इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ऋषिकेश के रूप में भगवान शिव ने इन्हें दर्शन दिए इसी कारण से इस स्थान को ऋषिकेश का नाम दिया गया।
- ऋषिकेश पर वीरभद्र के प्रकट होने की कथा प्रचलित है ऐसा बताया जाता है कि जब माता सती ने सतीत्व प्राप्त किया। तो शिवजी ने क्रोधित होकर अपने केस में से एक केस निकाल कर फेंक दिया। जिसमें से ही वीरभद्र प्रकट हुए थे।
ऋषिकेश के प्राचीन दर्शनीय स्थल
1. नीलकंठ महादेव मंदिर
ऐसा मानना है कि जब देवताओं के द्वारा जब समुंद्र मंथन किया था। तो जिस स्थान पर महादेव शिव ने विष ग्रहण किया था। उस स्थान पर ही नीलकंठ महादेव मंदिर स्थित है। जहां पर सभी श्रद्धालु जाकर नीलकंठ महादेव मंदिर के दर्शन करते हैं। इस मंदिर के समीप ही शुद्ध पानी का झरना है। यहां पर सभी भक्तों स्नान कर मंदिर में दर्शन करते हैं।
2. स्वर्ग आश्रम
स्वर्ग आश्रम की स्थापना स्वामी विशुद्धानंद के द्वारा की गई थी। विशुद्धानंद जी को “काली कमली वाले” के नाम से भी जाना जाता है. इस आश्रम मेक बहुत सुंदर मंदिर बना हुआ है। जहां पर खाने पीने की व्यवस्था उपलब्ध होती है यहां केवल शाकाहारी भोजन ही परोसा जाता है। आश्रम के परिसर में हस्तशिल्प वस्तुओं की छोटी बड़ी दुकानें भी उपलब्ध है।
3. त्रिवेणी घाट
त्रिवेणी घाट एक प्रमुख घाट है। हिंदू धर्म में माता की तरह पूजनीय नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती तीनों का इसी स्थान पर मिलन होता है। इसके बाद वह आगे अपनी अपनी धारा के अनुरूप मुड़ जाती है। यहां पर नियमित पवित्र आरती का दृश्य बहुत ही आकर्षक होता है। त्रिवेणी घाट पर आरती में शामिल होने के लिए बहुत से श्रद्धालु आते हैं। और वहां के आकर्षण और असीम शांति का अनुभव करता है।
4. लक्ष्मण झूला
लक्ष्मण झूला गंगा के किनारे को दूसरे किनारे तक जोड़ता है। ऐसा बताया जाता है कि नदी को पार करने के लिए श्री राम जी के छोटे भाई श्री लक्ष्मण जी के द्वारा इस झूले का निर्माण किया गया था। जब हम झूले से गुजरते हैं तो झूला हिलता हुआ प्रतीत होता है। 450 फीट की लंबे इस झूले के पास रघुनाथ एवं लक्ष्मण मंदिर भी बनाया गया है। लक्ष्मण झूला के पास ही राम झूला भी स्थित है। गंगा जी के समीप बैठने पर ममता की गोद जैसा स्नेह और ममता का अनुभव होता है।
5. भरत मंदिर
भरत मंदिर का निर्माण गुरु शंकराचार्य द्वारा कराया गया था। यह त्रिवेणी घाट के निकट ओल्ड टाउन में स्थित है। बताया जाता है कि तैमूर के आक्रमण के समय इस मंदिर को बहुत क्षतिग्रस्त कराया गया। क्षतिग्रस्त होने के पश्चात भी यह आज भी संरक्षित है। शंकराचार्य द्वारा रखा गया श्री यंत्र भी आपको यहां देखने को मिलेगा। मंदिर के गर्भ गृह में भगवान विष्णु की प्रतिमा पत्थर पर उकेरी गई है।
6. वशिष्ठ गुफा
ऋषिकेश में 3000 साल पुरानी वशिष्ट गुफा बद्रीनाथ- केदारनाथ मार्ग पर स्थित है। इस गुफा की लंबाई 22 किलोमीटर की है। इस स्थान पर बहुत से साधु संत भगवान के ध्यान मे विलीन रहते हैं। इसी स्थान पर भगवान राम और बहुत से राजाओं के पुरोहित वशिष्ठ का निवास स्थान था। गुफा के अंदर एक शिवलिंग भी स्थापित है।
7. कैलाश निकेतन मंदिर
कैलाश निकेतन मंदिर बेहद प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर में सभी देवी देवताओं की मूर्ति स्थापित की गई है।
8. गीता भवन
गीता भवन दर्शनीय दीवारों के लिए प्रसिद्ध है। यहां की सजी दीवारों रामायण और महाभारत के दृश्य को दिखाती हैं और इस स्थल की शोभा को बढ़ाती है। इसका निर्माण 2007 में श्री जयदयाल गोयनंदकाजी के द्वारा किया गया। इस स्थान पर शाम के समय संगीत का आयोजन किया जाता है। श्रद्धालुओं को यहां ठहरने के लिए सैकड़ों कमरे उपलब्ध होते हैं।
9. मोहन चट्टी
मोहन चट्टी और फूल चट्टी ,यह स्थान अपने शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। यहां से चारों तरफ की सुंदर वादियां बेहद सुंदर दृश्य प्रस्तुत करती है। यह श्रद्धालुओं का बहुत ही आकर्षण का केंद्र माना जाता है।
10. एम्स ( All india institute of medical science)
ऋषिकेश में स्थित एम्स दिल्ली के बाद भारत देश का सबसे बड़ा चिकित्सालय है। यह लगभग 400 मीटर के दायरे में फैला है। इस हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध है, ट्रॉमा सेंटर, इमरजेंसी आदि।
मार्ग सुविधा
- ऋषिकेश 18 किलोमीटर की दूरी पर जौली ग्रांट एयरपोर्ट स्थित है जहां से दिल्ली एयरपोर्ट को को बहुत सी फ्लाइट है जोड़ती हैं
- ऋषिकेश का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश रेलवे स्टेशन है। जो कि शहर से 5 किलोमीटर दूर है ।ऋषिकेश सबसे अंतिम रेलवे स्टेशन है। इसके बाद रेलवे लाइन नहीं जाते हैं। रेलवे स्टेशन से प्रमुख शहरों के लिए आसानी से ट्रेन उपलब्ध होते हैं।
- सड़क मार्ग से भी ऋषिकेश आसानी से आया जा सकता है। कश्मीरी गेट से ऋषिकेश के लिए एसी बस की सुविधा भी उपलब्ध है।
अन्य
ऋषिकेश में हाथ से बने सामानों के लिए अनेक छोटी-बड़ी दुकानें उपलब्ध होती है जहां से साड़ियां बेड कवर हैंडलूम फैब्रिक इत्यादि की खरीदारी की जा सकती है। इन दुकानों पर सभी सामान बहुत ही किफायती दामों पर उपलब्ध होता है।