श्री कृष्ण बलराम मंदिर को ही ISKCON ( International Society for Krishna Consciousness) TEMPLE कहां जाता है जो कृष्ण भक्ति जागरण के प्रसार के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक छोटी संस्था का नाम है तथा हिंदू पोशाक में देश विदेश के तमाम महिला और पुरुष इस मंदिर के प्रसिद्ध गान हरे रामा हरे कृष्ण की धुन में विलीन हुए दिखाई देता है इसी लिए इसे मंदिर को अंग्रेजों के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है इस मंदिर का निर्माण इस्कॉन सोसाइटी के द्वारा कराया गया मंदिर का निर्माण सफेद संगमरमर के द्वारा किया गया है मंदिर के अंदर राधा कृष्ण जी की भव्य एवं अतुल्य सुन्दर दृश्य प्रस्तुत करनी वाली मूर्तियां स्थापित है जो मंदिर की सुंदरता को बेहद सुंदर स्वरूप प्रदान करता है माना जाता है कि 5000 वर्ष पहले श्री कृष्ण जी आपने भाई श्री बलराम जी के साथ अपनी गायों को चराने के लिए, खेलने के लिए और गोपियों के साथ रासलीला करने के लिए जिस स्थान पर आते थे उसी स्थान पर इस मंदिर का निर्माण किया गया है
वेदांत श्री प्रभुपाद का योगदान
इस्कॉन मंदिर के उपदेशों और प्रथाओं आज से लगभग साडे 500 साल पहले श्री चैतन्य महाप्रभु ने की प्रारंभ किया था। चैतन्य महाप्रभु कृष्ण महा भक्ति में विलीन थे जो कि कृष्ण भक्ति को देश विदेशों में प्रचार प्रसार करना चाहते थे इसी दायित्व को ध्यान में रखकर भक्ति वेदांत श्री प्रभुपाद जी ने 1966 में न्यूयॉर्क में इस्कॉन सोसाइटी का स्थापना की तथा प्रचार प्रसार को एक नई गति प्रदान की। श्री प्रभुपाद जी ने ही भगवत गीता का अंग्रेजी में अनुवाद कर इसे प्रसार किया जिससे विदेशियों को इसे पढ़ने और पढ़कर श्री कृष्ण भक्ति में आकर्षण बढ़ने लगा और विदेशी लोग भी कृष्ण भक्ति में विलीन होकर मथुरा वृंदावन के दर्शन करने के लिए आने लगे इस सोसाइटी में पूरे संसार भर में श्री कृष्ण जी के अनेकों भव्य मंदिरों का निर्माण कराया है और श्री कृष्ण भक्ति का उच्च स्तर पर प्रचार प्रसार किया है ताकि हिंदू धर्म में, श्री कृष्ण जी की भक्ति को विदेशी भी जानकर श्री कृष्ण जी की भक्ति में विलीन हो भक्ति मन को शांति और प्रेम के मनोभाव को दर्पण प्रदान करता है श्री कृष्ण जी प्रेम का स्वरूप है जो प्रेम को अपनी लीलाओं में एक अलग अंदाज में परिभाषित करते थे इस्कॉन सोसाइटी के द्वारा श्री कृष्ण जी को समर्पित दुनिया का सबसे ऊंचा मंदिर चंद्रोदय मंदिर वृंदावन धाम में बन रहा है स्वामी प्रभुपाद जी भारत में अलग-अलग स्थानों पर कई मंदिर बनवाना चाहते थे 1975 में उन्होंने वृंदावन में इस्कॉन मंदिर का निर्माण कराया कुछ ही समय के बाद यह मंदिर देश के हर कोने पर प्रसिद्ध हो गया और देश विदेश के लोगों का आकर्षण बढ़ने लगा और देश विदेश के लोग भी दर्शन करने की अभिलाषा रखने लगे। मंदिर के संस्थापक प्रभुपाद जी ने 1977 ईस्वी में अपने प्राण त्याग दिए उनकी समाधि स्मारक के तौर पर इसी मंदिर में स्थापित की गई है जो कि उनके श्री कृष्ण जी की भक्ति में विलीन होने की प्रेरणा देती है वही मंदिर के एक कोने में स्वामी जी का निवास स्थान है जहां उनके कपड़े और उनके उपयोग की गई वस्तुएं सुरक्षित रखी गई है जिन्हें आप वहां जाकर देख सकते हैं और उनकी उनके द्वारा उपयोग की गई जड़ी बूटी और आयुर्वेदिक दवाइयों आदि भी उसी स्थान पर रखी गई है जिसे आप देखकर अच्छा महसूस करेंगे
मंदिर का गेस्ट हाउस
निवास स्थान के पास में ही मंदिर का गेस्ट हाउस है जहां पर देश-विदेश से आने वाले व्यक्तियों को कमरे उपलब्ध कराए जाते हैं इसमें सभी कमरे में ए सी की सुविधा उपलब्ध है इसमें साफ सफाई का बहुत ध्यान दिया जाता है मंदिर का टाइम टेबल उसके प्रति दीवार पर अंकित की गई है जिसमें कुछ खाने पीने की सुविधा भी उपलब्ध है जिस में रहकर आपके मन को अतुल्य शांति का आभास होता है इस मंदिर में जब आरती होती है तो देश विदेश में के लोग श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन हो जाते हैं उन्हें किसी बात की सुध को छोड़कर श्री कृष्ण जी की भक्ति में विलीन हो जाते हैं। और अपार आनन्द की अनुभूति करते हैं
इस्कॉन मंदिर की महत्वपूर्ण जानकारी
- इस्कॉन मंदिर में जब शाम की आरती को काफी महत्व दिया जाता है जिसमें सभी श्रद्धालु आकर श्री कृष्ण जी की एवं माता राधा रानी की आरती में शामिल होते हैं।
- इस्कॉन मंदिर में जन्माष्टमी के समय अधिक श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं क्योंकि इस समय में जन्माष्टमी को धूमधाम से मनाया जाता है मंदिर में आने के लिए जन्माष्टमी को उचित समय माना जाता है।
- वृंदावन में स्थित इस्कॉन मंदिर में स्थापित श्री कृष्ण जी और माता राधा रानी की मूर्ति की पोशाकों को दिन में दो बार बदला जाता है। इस समय भी लोगों का मंदिर में आने का दिलचस्प अधिक होता है।
- वृंदावन में स्थित इस्कॉन मंदिर के परिसर में अन्य मंदिरों के अलावा भी कई उद्यान एवं कुंड भी देखने को मिलते है।
इस्कॉन मंदिर समय सीमा
वृंदावन के इस्कॉन मंदिर की गेट सुबह के समय 4:00 बजे सभी श्रद्धालुओं को खोल दिए जाते हैं एवं दोपहर 12:00 बजे बंद कर दिए जाते हैं इसके उपरांत शाम के समय 4:00 बजे मंदिर के गेट को पुन खोल दिया जाता है अंततः रात्रि 8:15 पर दरवाजों को बंद कर दिया जाता है इस समय के बीच आरती एवं अन्य कार्य किए जाते हैं मंदिर के खुलने से रात्रि बंद होने तक वहां ” हरे रामा हरे कृष्णा” की धुन सुनने को मिलती हैं।
इस्कॉन मंदिर का प्रवेश शुल्क
मथुरा में क्षेत्र इस्कॉन मंदिर में जाने का कोई शुल्क देय नहीं होता है यह एक हिंदू धार्मिक स्थल है जिसमे देश विदेश के सभी श्रद्धालुओं निशुल्क घूमने जा सकते हैं
इस्कॉन मंदिर कैसे जाए ?
इस्कॉन मंदिर उत्तर प्रदेश के वृंदावन में स्थित है अगर आप इस मंदिर में जाना चाहते हैं तो यहां पहुंचने के मार्ग बहुत आसान है क्योंकि वृंदावन आगरा के पास वह स्थान स्थित है अगर आप हवाई यात्रा करना चाहते हैं तो आपको आगरा एयरपोर्ट जाना पड़ेगा। दिल्ली पहुंचने पर आप आसानी से हवाई यात्रा के माध्यम से आगरा पहुंच कर उसके उपरांत मथुरा वृंदावन जा सकते हैं अगर आप ट्रेन से जाना चाहते हैं तो आपको मथुरा में स्थित रेलवे स्टेशन पहुंचना पड़ेगा यहां के रेलवे स्टेशन से अधिकतर बड़े शहरों के लिए से ट्रेन की सुविधा है मथुरा में पहुंचने के बाद स्थानीय वाहनों के माध्यम से इस्कॉन मंदिर आसानी से जाया जा सकता है।