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कैलाश मानसरोवर यात्रा (Kailash Mansarovar Yatra)

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ओम नमः शिवाय

shree kailash mansarovar yatra
Image source: Raimond Klavinsh

कैलाश मानसरोवर यात्रा ( Kailash Mansarovar Yatra )

संसार के ऊंचे स्थानों में बसी एक बस्ती है। तिब्बत, जिसे स्वर्ग भूमि के नाम से भी जाना जाता है। कई बड़े हिम शिखरों को अपनी छाती पर बिठाए रखने वाला तिब्बत अनेकों नदियां गंगा, ब्रह्मपुत्र इंडस आदि अनेकों विख्यात नदियों का उद्गम स्थल भी है।

तिब्बत को रमणीय स्थानों में से एक माना जाता है। तिब्बत में कैलाश पर्वत एवं मानसरोवर झील के दर्शन करने के लिए देश– विदेश के अनेक तीर्थयात्री तिब्बत की इस पावन भूमि में दर्शन के महत्व से आते हैं। तीर्थयात्री नेपाल से चीन शासित प्रदेश होते हुए, कैलाश पर्वत एवं मानसरोवर झील पहुंचते हैं। यह संपूर्ण यात्रा 13 दिन और 14 रात की होती है। इस यात्रा के दौरान 3 रात काठमांडू में और 10 रात तिब्बत में रहना होता है। कैलाश पर्वत की यात्रा कर जाने से पहले सभी श्रद्धालु देव पशुपति नाथ की पूजा करते है। इस पूजन देव पाठन भी कहा जाता है। यात्रा के दौरान मन को लुभाने वाले सुंदर दृश्य, झरने, नदियों का शुद्ध पानी आपको दिखाई पड़ेगा। जिसमें यह दृश्य आपको आपकी यात्रा को बेहद सौंदर्य बना देते हैं। यात्रा के दौरान प्रकृति की वास्तविक सौंदर्यता का अनुभव आप इस यात्रा में अनुभव करते हैं।

इस यात्रा के दौरान जब हम चीन शासित प्रदेश में प्रवेश करते हैं, तब पासपोर्ट या अन्य पहचान प्रमाण पत्र इत्यादि दिखाकर आगे तिब्बत की ओर सभी तीर्थयात्री शांतिपूर्ण और श्रद्धा के भाव को मन में लेकर आगे बढ़ते हैं।

यात्रा के दौरान जब हम न्यालम शहर पहुंचते हैं तो उस समय कुछ देर रुक कर हम पहाड़ियों की रमणीय दृश्यों का अवलोकन किया जाता है। क्योंकि न्यालम शहर समुंद्र तल से लगभग 3700 मीटर की ऊंचाई पर अवस्थित है। ऊंचाई होने के कारण पहाड़ों का संपूर्ण दृश्य यहां से साफ तौर पर और बेहद सौंदर्यता का प्रदर्शन करते हैं।

इस यात्रा में कुछ समय आगे बढ़ने के उपरांत हम मानसरोवर झील पहुंचते हैं। जहां से अपने वाहनों को छोड़कर वहां के नियम अनुसार एक बस उपलब्ध होती है। उससे आगे की यात्रा प्रारंभ करते हैं और आगे बढ़ते हुए झुंबा तक पहुंचते हैं. इस जगह पर ठहरने के लिए अनेकों लॉज इत्यादि बनाए गए हैं। मानसरोवर झील को मानस भी कहा जाता है। मानस का अर्थ मस्तिष्क व चेतना होता है। इस हिसाब से मानसरोवर झील चेतना व ज्ञान के लिए एक प्रतीक के रूप में है। मानसरोवर झील समुद्र तल से 4580 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। मानसरोवर झील की परिक्रमा एवं उसके शुद्ध जल में स्नान करने पर हिंदू धर्म की ऐसी मंशा है कि व्यक्ति इसकी परिक्रमा एवं स्नान मात्र से ही उसके अपने जीवन जाने –अनजाने में किए गए पाप धूल जाते हैं। ऐसा मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती इस झील में रात्रि 2:00 से 3:00 बजे तक स्नान करते हैं।

इसके बाद यात्री यम द्वार पहुंचते हैं, और उसकी परिक्रमा करते हैं। इसकी परिक्रमा के पश्चात यात्री कैलाश धाम के दर्शन करने के उपरांत वापस लौटते हैं।

कैलाश पर्वत समुद्र तल से 6714 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है यह विश्व का सबसे पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है। यह स्थान बेहद पवित्र होने के कारण भी यहां पर लोग का आना बेहद कम ही हो पाता है। क्योंकि कैलाश पर्वत की यात्रा बेहद कठिन मानी जाती है। कैलाश पर्वत की महिमा का वर्णन रामायण, महाभारत जैसे पवित्र महाकाव्य में भी मिलता है।

कैलाश पर्वत से जुड़ी जानकारी

  • कैलाश पर्वत एक बहुत विशाल पर्वत श्रेणी है। जो तिब्बत में स्थित है। इसके समीप मानसरोवर तथा राक्षस ताल झील मिलती हैं। इसी पर्वत श्रेणी से ब्रह्मपुत्र, सिंधु और सतलुज इत्यादि नदियां निकलती है। हिंदू धर्म के लिए कैलाश पर्वत की यात्रा को बेहद पावन व पवित्र का दर्जा दिया जाता है।
  • कैलाश पर्वत हमेशा बर्फ से ढका हुआ रहता है। यह 21778 फुट ऊंचे शिखर पर एक तीर्थ स्थल है। इस प्रदेश को मानस खंड भी कहा जाता है।
  • इस स्थान से जुड़ी अनेकों कथाएं प्रचलित है माना जाता है, कि पांडव दिग्विजय प्रयास के समय अर्जुन द्वारा इस प्रदेश को जीत लिया गया था। इनके अलावा भी अनेक ऋषि एवं मुनि का यह निवास स्थान माना जाता है। इस स्थान पर जैन धर्म को बहुत अधिक महत्व दिया जाता है। इस पर्वत पर लगभग 72 जिनालय देखने को मिलते हैं।
  • कैलाश पर्वत की विचित्र पर्वतमाला प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है। जो कश्मीर से लेकर भूटान तक फैली हुई है। इस पर्वतमाला के उत्तरी शिखर का नाम कैलाश है। अगर हम इस पर्वत को दूर से देखेंगे तो हमें यह शिवलिंग की तरह दिखाई पड़ता है। एवं सदैव बर्फ से ढका रहता है।
  • ऐसा बताया जाता है कि जो कोई मानव कैलाश पर्वत की 108 परिक्रमा पूर्ण करता है। उसके जन्म मरण से मुक्ति मिल जाती है।
  • कैलाश मानसरोवर की यात्रा को पूर्ण करने के लिए अनेक मार्ग है। किंतु उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले से होते हुए जाने वाला मार्ग अधिक सुगम माना जाता है। यह मार्ग लगभग 544 किलोमीटर लंबा है। इस मार्ग में भी आपको अनेक उतार-चढ़ाव देखने को मिलेंगे। मार्ग में विश्राम के लिए अनेक धर्मशाला मिलती है। जिनमें यात्रियों के ठहरने की सुविधा प्राप्त होती है। यात्रा को अधिक सुगम बनाने के लिए याक, खच्चर और कुली आदि भी अपनी सेवा प्रदान करते हैं।
  • कैलाश मानसरोवर की यात्रा की परिक्रमा तारचेन से शुरू होकर वहीं पर समाप्त होती है। परिक्रमा को पूर्ण करने के लिए लगभग 53 किलोमीटर दूरी तय करनी पड़ती है। तीर्थ यात्रियों के लिए कैलाश मानसरोवर की यात्रा जून से सितंबर तक का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है। कैलाश मानसरोवर की यात्रा को पूर्ण करने के लिए लगभग दो माह लगते है।
  • कैलाश पर्वत को भगवान शिव का घर माना जाता है वहां ऐसी मान्यता है कि बर्फ ही बर्फ में शिव शंभू नाथ तप में विलीन है। जोकि शालीनता ,शांत और अघोर धारण किए हुए, एकांत रूप में तप कर रहे हैं। ऐसा अनेक धर्म और शास्त्रों में वर्णित मिलता है। कैलाश पर्वत भगवान शिव एवं भगवान आदिनाथ के कारण संसार में सबसे पावन स्थानों में से एक माना जाता है। कैलाश पर्वत की व्याख्या अनेक संस्कृत साहित्य में वर्णित मिलती है। जैसे शिशुपालव वधम में सर्वप्रथम इसका वर्णन मिलता है।

 

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